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पुर्तगाल का ‘रास्पबेरी वीज़ा’ [Portugal's ‘Raspberry Visa’] | DW Documentary हिन्दी
23.11.2021 - पुर्तगाल में, दक्षिण एशियाई प्रवासी कामगार उन रास्पबेरियों को चुनने का काम करते हैं, जिनकी यूरोपीय बाज़ार में भरमार है. ये कमर तोड़ने वाला काम है, जिसमें एक घंटे काम का वेतन, 4 यूरो से भी कम है, और दिनभर में 10 घंटों की मेहनत है. इसका प्रलोभन है पुर्तगाली पासपोर्ट मिलने की धुंधली उम्मीद.
पुर्तगाल के इन रास्पबेरी बाग़ों वाले इलाकों में कामगार ढूंढना कठिन है. इसीलिए यहां की सरकार ने एक तरकीब निकाली कि 7 साल यहां काम करने पर, पुर्तगाल की नागरिकता दी जाएगी. इसी उम्मीद में कुछ 20 हज़ार विदेशी प्रवासी कामगार इन बाग़ों में मज़दूरी करने चले आए. इन्हीं में से एक हैं भारत के गियान पॉल. वे पिछले पांच सालों से इन बाग़ों में काम कर रहे हैं और बेटे को वॉट्सऐप पर बड़ा होता देख रहे हैं। लेकिन उनका कहना है कि यूरोपीय संघ का पासपोर्ट मिलने के बाद उन्हें 186 से ज़्यादा देशों में जाने की आज़ादी होगी, इसलिए ये त्याग सही है. वो एक दिन अपनी पत्नी और बेटे को भी पुर्तगाल लाना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि ये देश उनके लिए पूरी दुनिया घूमने की कुंजी है. लेकिन गियान पॉल जैसे कई दूसरे कामगारों के लिए यहां की परेशानियां रास्पबेरी तोड़ने के काम से काफी पहले शुरू हो जाती हैं. ये लोग टूरिस्ट वीज़ा हासिल करने के लिए नौकरी दिलाने वाली एजेंसियों को 16000 यूरो की भारी रकम अदा करते हैं. आम तौर पर ये पैसा तस्कर माफिया के हाथों में चला जाता है. एक बार पुर्तगाल पहुंचने पर, इन प्रवासी कामगारों को ये रकम चुकाने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है.
पुर्तगाली सरकार इन कृषि प्रवासी कामगारों पर निर्भर है. लेकिन क्या इसके लिए उन्होंने, मध्य यूरोप में एक आधुनिक दास व्यवस्था तो नहीं स्थापित कर दी है?
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