9 Views· 17 July 2022
यमन की खौफनाक जंग – जिसकी किसी को परवाह नहीं [Yemen's Dirty War] | DW Documentary हिन्दी
यमन में जारी युद्ध में अब तक कम-से-कम 3,70,000 लोग मारे जा चुके हैं और लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र ने इस खूनी छद्म युद्ध और इसके प्रभावों को दुनिया का सबसे भीषण मानवीय संकट बताया है.
अरब प्रायद्वीप के दक्षिण में बसे यमन में सालों से संघर्ष चल रहा है और हाल ही में इसमें नए सिरे से तेजी आई है. सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने जनवरी में देश के उत्तर में एक जेल पर हवाई हमला किया, जिसमें कम-से-कम 70 लोग मारे गए और हजारों जख्मी हुए. युद्ध ने अब यमन को स्पष्ट तौर पर दो भागों में बांट दिया है. इस युद्ध के कारण सिर्फ आर्थिक और धार्मिक नहीं हैं. इसे सऊदी अरब और ईरान के बीच छद्म युद्ध के रूप में देखा जाता है. क्षेत्रीय प्रभुत्व, अब तक इस्तेमाल ना हुए और बेहद अहम स्वेज नहर समेत लाल सागर तक पहुंचने का रास्ता युद्ध में दांव पर लगे हैं.
यमन की पूर्व राजधानी सना अब दुनिया की सबसे दुर्गम जगहों में से एक मानी जाती है. पिछले छह सालों से इस शहर पर हूथी राजनीतिक और सैन्य आंदोलन का नियंत्रण है, जो खुद को "अंसार अल्लाह" कहता है. लेकिन सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, इस्लाम की ज़ैदी शाखा से ताल्लुक रखने वाले हूथी विद्रोहियों को विधर्मी और वहाबी संप्रदाय के लिए खतरा मानते हैं. पश्चिमी देशों के दिए हथियारों का इस्तेमाल करके उन्होंने यमन के उत्तरी हिस्से में लगातार बमबारी की है. इस बीच एक सख्त नाकाबंदी ने एक बड़ी आबादी के लिए भूखमरी की स्थिति पैदा कर दी है. लगभग चार लाख बच्चों पर अकाल के कारण मौत का जोखिम है.
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