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4 Views· 17 July 2022

बांग्लादेश- इस्लामवाद की शुरुआत [Bangladesh – Dawn of Islamism] | DW Documentary हिन्दी

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बांग्लादेश की सुर्खियां नियमित रूप से हिंसा के कृत्यों को कवर करती हैं, जैसे की: इस्लामिक चरमपंथियों द्वारा धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर्स की हत्याएँ, सरकारी विरोधीयों का गायब हो जाना या हिंदू अल्पसंख्यक का इस्लामी आक्रमण के नीचें अंतर्गत होना.

जो देश लोकतंत्र और इस्लाम के बीच सामंजस्य बिठाना चाहता है, उसके लिए लगता है कि दोनों के बीच संतुलन बनाना, और अधिक कठिन होता जा रहा है. बांग्लादेश की नीव ही खून पर राखी गयी, अर्थार्त खुनी जंग के बाद ही बांग्लादेश खुद को एक अलग देश होने का एलान कर सका था. बांग्लादेशी सरकार का दावा है कि १९७१ के मुक्ति संग्राम के दौरान लगभग ३० लाख लोग मारे गए थे, हालांकि स्वतंत्र आंकड़े इससे बहुत भिन्न हैं.
पाकिस्तान एक इस्लामी गणराज्य बना हुआ है, जबकि बांग्लादेश ने धर्मनिरपेक्षता को गणतंत्र के संविधान में एक संस्थापक सिद्धांत बनाया है। लेकिन इस्लामवादी और धर्मनिरपेक्ष ताकतों के बीच टकराव ने अपने गठन के बाद से ही देश को त्रस्त कर रखा है - और विदेशों में इस टकराव को किस तरह से देखा जाता है इसका असर सीधे इसकी छवि पे पडता है.

शेख हसीना - देश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमानस की बेटी - ने २००९ से बांग्लादेशी सरकार का नेतृत्व किया है. वह खुद को धर्मनिरपेक्ष और इस्लामी ताकतों के बीच मध्यस्थ के रूप में देखती है. लेकिन धर्म की आलोचना करने वाले ब्लॉगर्स की निर्मम हत्या और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता पर निरंतर प्रतिबंध से पता चलता है कि उनका यह संतुलनकारी कार्य कैसे लड़खड़ा रहा है - और जल्द ही आपदा में भी बदल सकता है.

यह रिपोर्ट "शून्य सहिष्णुता" श्रृंखला का पहला भाग है। अगले भाग आने वाले हफ्तों में अपलोड किए जाएंगे.

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